Contact: +91-9711224068
International Journal of Applied Research
  • Multidisciplinary Journal
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal

ISSN Print: 2394-7500, ISSN Online: 2394-5869, CODEN: IJARPF

IMPACT FACTOR (RJIF): 8.4

Vol. 5, Issue 1, Part F (2019)

निराला की कविताओं में छायावाद और प्रगतिवाद युगीन प्रवृत्तियाँ

निराला की कविताओं में छायावाद और प्रगतिवाद युगीन प्रवृत्तियाँ

Author(s)
Dr. Usha Kumari JB
Abstract
आधुनिक काव्य धारा में द्विवेदी युग के अंत में एक नयी काव्य धारा, स्थूल के प्रति सूक्ष्म की प्रतिक्रिया के रूप में प्रवृत्त होने लगी । भाव पक्ष में और शैली पक्ष में आयी यह नवीनता छायावादी काव्य धारा की प्रमुख विशेषता रही । छायावाद के प्रमुख कवि 'महाप्राण' निराला के व्यक्तित्व का विकास उनके आगे की कविताओं में स्पष्ट रूप से दिखायमान रहा। प्रकृति रमणीयता और कल्पना लोक में विचरण करनेवाले कवि में धीरे-धीरे सामाजिक प्रतिबद्धता संचरित होने लगी। फलस्वरूप उनकी कविताओं में सामाजिकता का विद्रोह प्रबल दर्शायमान रहा । अर्थात मानवतावादी कवि निराला की प्रगतिवादी कविताओं में उनका मानवताबोध अधिक मात्रा में प्रस्फुटित हुआ।
Pages: 629-631  |  117 Views  39 Downloads
How to cite this article:
Dr. Usha Kumari JB. निराला की कविताओं में छायावाद और प्रगतिवाद युगीन प्रवृत्तियाँ. Int J Appl Res 2019;5(1):629-631. DOI: 10.22271/allresearch.2019.v5.i1f.11514
Call for book chapter
International Journal of Applied Research
Journals List Click Here Research Journals Research Journals